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لَيْسَ عَلَى الْاَعْمٰى حَرَجٌ وَّلَا عَلَى الْاَعْرَجِ حَرَجٌ وَّلَا عَلَى الْمَرِيْضِ حَرَجٌ ۗ وَمَنْ يُّطِعِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ يُدْخِلْهُ جَنّٰتٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ۚ وَمَنْ يَّتَوَلَّ يُعَذِّبْهُ عَذَابًا اَلِيْمًا ࣖ   ( الفتح: ١٧ )

Not is
لَّيْسَ
नहीं है
upon
عَلَى
अंधे पर
the blind
ٱلْأَعْمَىٰ
अंधे पर
any blame
حَرَجٌ
कोई गुनाह
and not
وَلَا
और ना
on
عَلَى
लंगड़े पर
the lame
ٱلْأَعْرَجِ
लंगड़े पर
any blame
حَرَجٌ
कोई गुनाह
and not
وَلَا
और ना
on
عَلَى
मरीज़ पर
the sick
ٱلْمَرِيضِ
मरीज़ पर
any blame
حَرَجٌۗ
कोई गुनाह
And whoever
وَمَن
और जो कोई
obeys
يُطِعِ
इताअत करेगा
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह की
and His Messenger
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूल की
He will admit him
يُدْخِلْهُ
वो दाख़िल करेगा उसे
(to) Gardens
جَنَّٰتٍ
बाग़ात में
flow
تَجْرِى
बहती हैं
from
مِن
उनके नीचे से
underneath them
تَحْتِهَا
उनके नीचे से
the rivers
ٱلْأَنْهَٰرُۖ
नहरें
but whoever
وَمَن
और जो कोई
turns away
يَتَوَلَّ
मुँह फेरेगा
He will punish him
يُعَذِّبْهُ
वो अज़ाब देगा उसे
(with) a punishment
عَذَابًا
अज़ाब
painful
أَلِيمًا
दर्दनाक

Laysa 'ala ala'ma harajun wala 'ala ala'raji harajun wala 'ala almareedi harajun waman yuti'i Allaha warasoolahu yudkhilhu jannatin tajree min tahtiha alanharu waman yatawalla yu'aththibhu 'athaban aleeman (al-Fatḥ 48:17)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

न अन्धे के लिए कोई हरज है, न लँगडे के लिए कोई हरज है और न बीमार के लिए कोई हरज है। जो भी अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा, उसे वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करके, जिनके नीचे नहरे बह रही होगी, किन्तु जो मुँह फेरेगा उसे वह दुखद यातना देगा

English Sahih:

There is not upon the blind any guilt or upon the lame any guilt or upon the ill any guilt [for remaining behind]. And whoever obeys Allah and His Messenger – He will admit him to gardens beneath which rivers flow; but whoever turns away – He will punish him with a painful punishment. ([48] Al-Fath : 17)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(जेहाद से पीछे रह जाने का) न तो अन्धे ही पर कुछ गुनाह है और न लँगड़े पर गुनाह है और न बीमार पर गुनाह है और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल का हुक्म मानेगा तो वह उसको (बेहिश्त के) उन सदाबहार बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी और जो सरताबी करेगा वह उसको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा