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قَالُوْا مَآ اَخْلَفْنَا مَوْعِدَكَ بِمَلْكِنَا وَلٰكِنَّا حُمِّلْنَآ اَوْزَارًا مِّنْ زِيْنَةِ الْقَوْمِ فَقَذَفْنٰهَا فَكَذٰلِكَ اَلْقَى السَّامِرِيُّ ۙ  ( طه: ٨٧ )

They said
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
"Not
مَآ
नहीं
we broke
أَخْلَفْنَا
ख़िलाफ़ किया हमने
promise to you
مَوْعِدَكَ
तेरे वादे के
by our will
بِمَلْكِنَا
अपने इख़्तियार से
but we
وَلَٰكِنَّا
बल्कि हम
[we] were made to carry
حُمِّلْنَآ
उठवाए गए हम
burdens
أَوْزَارًا
बोझ
from
مِّن
ज़ेवर में से
ornaments
زِينَةِ
ज़ेवर में से
(of) the people
ٱلْقَوْمِ
लोगों के
so we threw them
فَقَذَفْنَٰهَا
तो फेंक दिया हमने उन्हें
and thus
فَكَذَٰلِكَ
फिर इसी तरह
threw
أَلْقَى
डाल दिया
the Samiri"
ٱلسَّامِرِىُّ
सामरी ने

Qaloo ma akhlafna maw'idaka bimalkina walakinna hummilna awzaran min zeenati alqawmi faqathafnaha fakathalika alqa alssamiriyyu (Ṭāʾ Hāʾ 20:87)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन्होंने कहा, 'हमने आपसे किए हुए वादे के विरुद्ध अपने अधिकार से कुछ नहीं किया, बल्कि लोगों के ज़ेवरों के बोझ हम उठाए हुए थे, फिर हमने उनको (आग में) फेंक दिया, सामरी ने इसी तरह प्रेरित किया था।'

English Sahih:

They said, "We did not break our promise to you by our will, but we were made to carry burdens from the ornaments of the people [of Pharaoh], so we threw them [into the fire], and thus did the Samiri throw." ([20] Taha : 87)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

वह लोग कहने लगे हमने आपके वायदे के ख़िलाफ नहीं किया बल्कि (बात ये हुईकि फिरऔन की) क़ौम के ज़ेवर के बोझे जो (मिस्र से निकलते वक्त) हम पर लोग गए थे उनको हम लोगों ने (सामरी के कहने से आग में) डाल दिया फिर सामरी ने भी डाल दिया