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فَهَلْ يَنْظُرُوْنَ اِلَّا السَّاعَةَ اَنْ تَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً ۚ فَقَدْ جَاۤءَ اَشْرَاطُهَا ۚ فَاَنّٰى لَهُمْ اِذَا جَاۤءَتْهُمْ ذِكْرٰىهُمْ   ( محمد: ١٨ )

Then do
فَهَلْ
तो नहीं
they wait
يَنظُرُونَ
वो इन्तिज़ार करते
but
إِلَّا
मगर
(for) the Hour
ٱلسَّاعَةَ
क़यामत का
that
أَن
कि
it should come to them
تَأْتِيَهُم
वो आ जाए उनके पास
suddenly?
بَغْتَةًۖ
अचानक
But indeed
فَقَدْ
तो तहक़ीक़
have come
جَآءَ
आ चुकीं
its indications
أَشْرَاطُهَاۚ
अलामात उसकी
Then how
فَأَنَّىٰ
तो कहाँ से होगी
to them
لَهُمْ
उनके लिए
when
إِذَا
जब
has come to them
جَآءَتْهُمْ
आ जाएगी उनके पास
their reminder
ذِكْرَىٰهُمْ
नसीहत उनकी

Fahal yanthuroona illa alssa'ata an tatiyahum baghtatan faqad jaa ashratuha faanna lahum itha jaathum thikrahum (Muḥammad 47:18)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब क्या वे लोग बस उस घड़ी की प्रतीक्षा कर रहे है कि वह उनपर अचानक आ जाए? उसके लक्षण तो सामने आ चुके है, जब वह स्वयं भी उनपर आ जाएगी तो फिर उनके लिए होश में आने का अवसर कहाँ शेष रहेगा?

English Sahih:

Then do they await except that the Hour should come upon them unexpectedly? But already there have come [some of] its indications. Then how [i.e., what good] to them, when it has come, will be their remembrance? ([47] Muhammad : 18)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो क्या ये लोग बस क़यामत ही के मुनतज़िर हैं कि उन पर एक बारगी आ जाए तो उसकी निशानियाँ आ चुकी हैं तो जिस वक्त क़यामत उन (के सर) पर आ पहुँचेगी फिर उन्हें नसीहत कहाँ मुफीद हो सकती है