يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوا اجْتَنِبُوْا كَثِيْرًا مِّنَ الظَّنِّۖ اِنَّ بَعْضَ الظَّنِّ اِثْمٌ وَّلَا تَجَسَّسُوْا وَلَا يَغْتَبْ بَّعْضُكُمْ بَعْضًاۗ اَيُحِبُّ اَحَدُكُمْ اَنْ يَّأْكُلَ لَحْمَ اَخِيْهِ مَيْتًا فَكَرِهْتُمُوْهُۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ ۗاِنَّ اللّٰهَ تَوَّابٌ رَّحِيْمٌ ( الحجرات: ١٢ )
Ya ayyuha allatheena amanoo ijtaniboo katheeran mina alththanni inna ba'da alththanni ithmun wala tajassasoo wala yaghtab ba'dukum ba'dan ayuhibbu ahadukum an yakula lahma akheehi maytan fakarihtumoohu waittaqoo Allaha inna Allaha tawwabun raheemun (al-Ḥujurāt 49:12)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लानेवालो! बहुत से गुमानों से बचो, क्योंकि कतिपय गुमान गुनाह होते है। और न टोह में पड़ो और न तुममें से कोई किसी की पीठ पीछे निन्दा करे - क्या तुममें से कोई इसको पसन्द करेगा कि वह मरे हुए भाई का मांस खाए? वह तो तुम्हें अप्रिय होगी ही। - और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है
English Sahih:
O you who have believed, avoid much [negative] assumption. Indeed, some assumption is sin. And do not spy or backbite each other. Would one of you like to eat the flesh of his brother when dead? You would detest it. And fear Allah; indeed, Allah is Accepting of Repentance and Merciful. ([49] Al-Hujurat : 12)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों बहुत से गुमान (बद) से बचे रहो क्यों कि बाज़ बदगुमानी गुनाह हैं और आपस में एक दूसरे के हाल की टोह में न रहा करो और न तुममें से एक दूसरे की ग़ीबत करे क्या तुममें से कोई इस बात को पसन्द करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए तो तुम उससे (ज़रूर) नफरत करोगे और ख़ुदा से डरो, बेशक ख़ुदा बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान है