۞ وَلَوْ اَرَادُوا الْخُرُوْجَ لَاَعَدُّوْا لَهٗ عُدَّةً وَّلٰكِنْ كَرِهَ اللّٰهُ انْۢبِعَاثَهُمْ فَثَبَّطَهُمْ وَقِيْلَ اقْعُدُوْا مَعَ الْقٰعِدِيْنَ ( التوبة: ٤٦ )
Walaw aradoo alkhurooja laa'addoo lahu 'uddatan walakin kariha Allahu inbi'athahum fathabbatahum waqeela oq'udoo ma'a alqa'ideena (at-Tawbah 9:46)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि वे निकलने का इरादा करते तो इसके लिए कुछ सामग्री जुटाते, किन्तु अल्लाह ने उनके उठने को नापसन्द किया तो उसने उन्हें रोक दिया। उनके कह दिया गया, 'बैठनेवालों के साथ बैठ रहो।'
English Sahih:
And if they had intended to go forth, they would have prepared for it [some] preparation. But Allah disliked their being sent, so He kept them back, and they were told, "Remain [behind] with those who remain." ([9] At-Tawbah : 46)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(कि क्या करें क्या न करें) और अगर ये लोग (घर से) निकलने की ठान लेते तो (कुछ न कुछ सामान तो करते मगर (बात ये है) कि ख़ुदा ने उनके साथ भेजने को नापसन्द किया तो उनको काहिल बना दिया और (गोया) उनसे कह दिया गया कि तुम बैठने वालों के साथ बैठे (मक्खी मारते) रहो