قُلْ لَّا يَعْلَمُ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ الْغَيْبَ اِلَّا اللّٰهُ ۗوَمَا يَشْعُرُوْنَ اَيَّانَ يُبْعَثُوْنَ ( النمل: ٦٥ )
Say
قُل
कह दीजिए
"No (one)
لَّا
नहीं जानता
knows
يَعْلَمُ
नहीं जानता
whoever
مَن
जो कोई
(is) in
فِى
आसमानों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
(of) the unseen
ٱلْغَيْبَ
ग़ैब को
except
إِلَّا
सिवाए
Allah
ٱللَّهُۚ
अल्लाह के
and not
وَمَا
और नहीं
they perceive
يَشْعُرُونَ
वो शऊर रखते
when
أَيَّانَ
कि कब
they will be resurrected"
يُبْعَثُونَ
वो उठाए जाऐंगे
Qul la ya'lamu man fee alssamawati waalardi alghayba illa Allahu wama yash'uroona ayyana yub'athoona (an-Naml 27:65)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'आकाशों और धरती में जो भी है, अल्लाह के सिवा किसी को भी परोक्ष का ज्ञान नहीं है। और न उन्हें इसकी चेतना प्राप्त है कि वे कब उठाए जाएँगे।'
English Sahih:
Say, "None in the heavens and earth knows the unseen except Allah, and they do not perceive when they will be resurrected." ([27] An-Naml : 65)