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اَلَمْ يَرَوْا اَنَّا جَعَلْنَا الَّيْلَ لِيَسْكُنُوْا فِيْهِ وَالنَّهَارَ مُبْصِرًاۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّقَوْمٍ يُّؤْمِنُوْنَ   ( النمل: ٨٦ )

Do not
أَلَمْ
क्या नहीं
they see
يَرَوْا۟
उन्होंने देखा
that We
أَنَّا
बेशक हम
[We] have made
جَعَلْنَا
बनाया हमने
the night
ٱلَّيْلَ
रात को
that they may rest
لِيَسْكُنُوا۟
ताकि वो सुकून पाऐं
in it
فِيهِ
उसमें
and the day
وَٱلنَّهَارَ
और दिन को
giving visibility?
مُبْصِرًاۚ
रौशन
Indeed
إِنَّ
बेशक
in
فِى
इसमें
that
ذَٰلِكَ
इसमें
surely (are) Signs
لَءَايَٰتٍ
अलबत्ता निशानियाँ हैं
for a people
لِّقَوْمٍ
उन लोगों के लिए
who believe
يُؤْمِنُونَ
जो ईमान लाते हैं

Alam yaraw anna ja'alna allayla liyaskunoo feehi waalnnahara mubsiran inna fee thalika laayatin liqawmin yuminoona (an-Naml 27:86)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या उन्होंने देखा नहीं कि हमने रात को (अँधेरी) बनाया, ताकि वे उसमें शान्ति और चैन प्राप्त करें। और दिन को प्रकाशमान बनाया (कि उसमें काम करें)? निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो ईमान ले आएँ

English Sahih:

Do they not see that We made the night that they may rest therein and the day giving sight? Indeed in that are signs for a people who believe. ([27] An-Naml : 86)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें ईमान लाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं