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اِنَّكَ لَا تَهْدِيْ مَنْ اَحْبَبْتَ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَهُوَ اَعْلَمُ بِالْمُهْتَدِيْنَ   ( القصص: ٥٦ )

Indeed you
إِنَّكَ
बेशक आप
(can) not
لَا
नहीं आप हिदायत दे सकते
guide
تَهْدِى
नहीं आप हिदायत दे सकते
whom
مَنْ
जिसे
you love
أَحْبَبْتَ
पसंद करें आप
but
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
guides
يَهْدِى
वो हिदायत देता है
whom
مَن
जिसे
He wills
يَشَآءُۚ
वो चाहता है
And He
وَهُوَ
और वो
(is) most knowing
أَعْلَمُ
ख़ूब जानता है
(of) the guided ones
بِٱلْمُهْتَدِينَ
हिदायत पाने वालों को

Innaka la tahdee man ahbabta walakinna Allaha yahdee man yashao wahuwa a'lamu bialmuhtadeena (al-Q̈aṣaṣ 28:56)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तुम जिसे चाहो राह पर नहीं ला सकते, किन्तु अल्लाह जिसे चाहता है राह दिखाता है, और वही राह पानेवालों को भली-भाँति जानता है

English Sahih:

Indeed, [O Muhammad], you do not guide whom you like, but Allah guides whom He wills. And He is most knowing of the [rightly] guided. ([28] Al-Qasas : 56)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) बेशक तुम जिसे चाहो मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचा सकते मगर हाँ जिसे खुदा चाहे मंज़िल मक़सूद तक पहुचाए और वही हिदायत याफ़ता लोगों से ख़ूब वाक़िफ़ है