فَلَنُذِيْقَنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا عَذَابًا شَدِيْدًاۙ وَّلَنَجْزِيَنَّهُمْ اَسْوَاَ الَّذِيْ كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ( فصلت: ٢٧ )
But surely We will cause to taste
فَلَنُذِيقَنَّ
पस अलबत्ता हम ज़रूर चखाऐंगे
those who
ٱلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
a punishment
عَذَابًا
अज़ाब
severe
شَدِيدًا
शदीद
and surely We will recompense them
وَلَنَجْزِيَنَّهُمْ
और अलबत्ता हम ज़रूर बदला देंगे उन्हें
(the) worst
أَسْوَأَ
बदतरीन
(of) what
ٱلَّذِى
उसका जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
do
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
Falanutheeqanna allatheena kafaroo 'athaban shadeedan walanajziyannahum aswaa allathee kanoo ya'maloona (Fuṣṣilat 41:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, कठोर यातना का मजा चखाएँगे, और हम अवश्य उन्हें उसका बदला देंगे, जो निकृष्टतम कर्म वे करते रहे है
English Sahih:
But We will surely cause those who disbelieve to taste a severe punishment, and We will surely recompense them for the worst of what they had been doing. ([41] Fussilat : 27)