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ذٰلِكَ جَزَاۤءُ اَعْدَاۤءِ اللّٰهِ النَّارُ لَهُمْ فِيْهَا دَارُ الْخُلْدِ ۗجَزَاۤءً ۢبِمَا كَانُوْا بِاٰيٰتِنَا يَجْحَدُوْنَ  ( فصلت: ٢٨ )

That
ذَٰلِكَ
ये
(is the) recompense
جَزَآءُ
बदला है
(of the) enemies
أَعْدَآءِ
दुश्मनों का
(of) Allah -
ٱللَّهِ
अल्लाह के
the Fire;
ٱلنَّارُۖ
आग का
for them
لَهُمْ
उनके लिए है
therein
فِيهَا
उसमें
(is the) home
دَارُ
घर
(of) the eternity
ٱلْخُلْدِۖ
हमेशगी का
(as) recompense
جَزَآءًۢ
बदला है
for what
بِمَا
बवजह उसके जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
of Our Verses
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात का
reject
يَجْحَدُونَ
वो इन्कार करते

Thalika jazao a'dai Allahi alnnaru lahum feeha daru alkhuldi jazaan bima kanoo biayatina yajhadoona (Fuṣṣilat 41:28)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वह है अल्लाह के शत्रुओं का बदला - आग। उसी में उसका सदा का घर है, उसके बदले में जो वे हमारी आयतों का इनकार करते रहे

English Sahih:

That is the recompense of the enemies of Allah – the Fire. For them therein is the home of eternity as recompense for what they, of Our verses, were rejecting. ([41] Fussilat : 28)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ख़ुदा के दुशमनों का बदला है कि वह जो हमरी आयतों से इन्कार करते थे उसकी सज़ा में उनके लिए उसमें हमेशा (रहने) का घर है,