ثُمَّ قَفَّيْنَا عَلٰٓى اٰثَارِهِمْ بِرُسُلِنَا وَقَفَّيْنَا بِعِيْسَى ابْنِ مَرْيَمَ وَاٰتَيْنٰهُ الْاِنْجِيْلَ ەۙ وَجَعَلْنَا فِيْ قُلُوْبِ الَّذِيْنَ اتَّبَعُوْهُ رَأْفَةً وَّرَحْمَةً ۗوَرَهْبَانِيَّةَ ِۨابْتَدَعُوْهَا مَا كَتَبْنٰهَا عَلَيْهِمْ اِلَّا ابْتِغَاۤءَ رِضْوَانِ اللّٰهِ فَمَا رَعَوْهَا حَقَّ رِعَايَتِهَا ۚفَاٰتَيْنَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا مِنْهُمْ اَجْرَهُمْ ۚ وَكَثِيْرٌ مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ( الحديد: ٢٧ )
Thumma qaffayna 'ala atharihim birusulina waqaffayna bi'eesa ibni maryama waataynahu alinjeela waja'alna fee quloobi allatheena ittaba'oohu rafatan warahmatan warahbaniyyatan ibtada'ooha ma katabnaha 'alayhim illa ibtighaa ridwani Allahi fama ra'awha haqqa ri'ayatiha faatayna allatheena amanoo minhum ajrahum wakatheerun minhum fasiqoona (al-Ḥadīd 57:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर उनके पीछ उन्हीं के पद-चिन्हों पर हमने अपने दूसरे रसूलों को भेजा और हमने उनके पीछे मरयम के बेटे ईसा को भेजा और उसे इंजील प्रदान की। और जिन लोगों ने उसका अनुसरण किया, उनके दिलों में हमने करुणा और दया रख दी। रहा संन्यास, तो उसे उन्होंने स्वयं घड़ा था। हमने उसे उनके लिए अनिवार्य नहीं किया था, यदि अनिवार्य किया था तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता की चाहत। फिर वे उसका निर्वाह न कर सकें, जैसा कि उनका निर्वाह करना चाहिए था। अतः उन लोगों को, जो उनमें से वास्तव में ईमान लाए थे, उनका बदला हमने (उन्हें) प्रदान किया। किन्तु उनमें से अधिकतर अवज्ञाकारी ही है
English Sahih:
Then We sent following their footsteps [i.e., traditions] Our messengers and followed [them] with Jesus, the son of Mary, and gave him the Gospel. And We placed in the hearts of those who followed him compassion and mercy and monasticism, which they innovated; We did not prescribe it for them except [that they did so] seeking the approval of Allah. But they did not observe it with due observance. So We gave the ones who believed among them their reward, but many of them are defiantly disobedient. ([57] Al-Hadid : 27)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
फिर उनके पीछे ही उनके क़दम ब क़दम अपने और पैग़म्बर भेजे और उनके पीछे मरियम के बेटे ईसा को भेजा और उनको इन्जील अता की और जिन लोगों ने उनकी पैरवी की उनके दिलों में यफ़क्क़त और मेहरबानी डाल दी और रहबानियत (लज्ज़ात से किनाराकशी) उन लोगों ने ख़ुद एक नयी बात निकाली थी हमने उनको उसका हुक्म नहीं दिया था मगर (उन लोगों ने) ख़ुदा की ख़ुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (ख़ुद ईजाद किया) तो उसको भी जैसा बनाना चाहिए था न बना सके तो जो लोग उनमें से ईमान लाए उनको हमने उनका अज्र दिया उनमें के बहुतेरे तो बदकार ही हैं