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قُلْ اِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّيَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْاِثْمَ وَالْبَغْيَ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَاَنْ تُشْرِكُوْا بِاللّٰهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهٖ سُلْطٰنًا وَّاَنْ تَقُوْلُوْا عَلَى اللّٰهِ مَا لَا تَعْلَمُوْنَ   ( الأعراف: ٣٣ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Only
إِنَّمَا
बेशक
(had) forbidden
حَرَّمَ
हराम किया
my Lord
رَبِّىَ
मेरे रब ने
the shameful deeds
ٱلْفَوَٰحِشَ
बेहयाई के कामों को
what
مَا
जो
(is) apparent
ظَهَرَ
ज़ाहिरी हों
of it
مِنْهَا
उनमें से
and what
وَمَا
और जो
is concealed
بَطَنَ
पोशीदा हों
and the sin
وَٱلْإِثْمَ
और गुनाह को
and the oppression
وَٱلْبَغْىَ
और सरकशी को
without
بِغَيْرِ
बग़ैर
[the] right
ٱلْحَقِّ
हक़ के
and that
وَأَن
और ये कि
you associate (others)
تُشْرِكُوا۟
तुम शरीक ठहराओ
with Allah
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
what
مَا
जो
not
لَمْ
नहीं
He (has) sent down
يُنَزِّلْ
उसने उतारी
of it
بِهِۦ
उसकी
any authority
سُلْطَٰنًا
कोई दलील
and that
وَأَن
और ये कि
you say
تَقُولُوا۟
तुम कहो
about
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
what
مَا
जो
not"
لَا
नहीं तुम जानते
you know"
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते

Qul innama harrama rabbiya alfawahisha ma thahara minha wama batana waalithma waalbaghya bighayri alhaqqi waan tushrikoo biAllahi ma lam yunazzil bihi sultanan waan taqooloo 'ala Allahi ma la ta'lamoona (al-ʾAʿrāf 7:33)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'मेरे रब ने केवल अश्लील कर्मों को हराम किया है - जो उनमें से प्रकट हो उन्हें भी और जो छिपे हो उन्हें भी - और हक़ मारना, नाहक़ ज़्यादती और इस बात को कि तुम अल्लाह का साझीदार ठहराओ, जिसके लिए उसने कोई प्रमाण नहीं उतारा और इस बात को भी कि तुम अल्लाह पर थोपकर ऐसी बात कहो जिसका तुम्हें ज्ञान न हो।'

English Sahih:

Say, "My Lord has only forbidden immoralities – what is apparent of them and what is concealed – and sin, and oppression without right, and that you associate with Allah that for which He has not sent down authority, and that you say about Allah that which you do not know." ([7] Al-A'raf : 33)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज्यादती करने को हराम किया है और इस बात को कि तुम किसी को ख़ुदा का शरीक बनाओ जिनकी उनसे कोई दलील न ही नाज़िल फरमाई और ये भी कि बे समझे बूझे ख़ुदा पर बोहतान बॉधों