يٰٓاَيُّهَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلَى الْقِتَالِۗ اِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صَابِرُوْنَ يَغْلِبُوْا مِائَتَيْنِۚ وَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ يَّغْلِبُوْٓا اَلْفًا مِّنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ ( الأنفال: ٦٥ )
Ya ayyuha alnnabiyyu harridi almumineena 'ala alqitali in yakun minkum 'ishroona sabiroona yaghliboo miatayni wain yakun minkum miatun yaghliboo alfan mina allatheena kafaroo biannahum qawmun la yafqahoona (al-ʾAnfāl 8:65)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो। यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुमसे से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग है
English Sahih:
O Prophet, urge the believers to battle. If there are among you twenty [who are] steadfast, they will overcome two hundred. And if there are among you one hundred [who are steadfast], they will overcome a thousand of those who have disbelieved because they are a people who do not understand. ([8] Al-Anfal : 65)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ रसूल तुम मोमिनीन को जिहाद के वास्ते आमादा करो (वह घबराए नहीं ख़ुदा उनसे वायदा करता है कि) अगर तुम लोगों में के साबित क़दम रहने वाले बीस भी होगें तो वह दो सौ (काफिरों) पर ग़ालिब आ जायेगे और अगर तुम लोगों में से साबित कदम रहने वालों सौ होगें तो हज़ार (काफिरों) पर ग़ालिब आ जाएँगें इस सबब से कि ये लोग ना समझ हैं