وَاَمَّا الَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ فَزَادَتْهُمْ رِجْسًا اِلٰى رِجْسِهِمْ وَمَاتُوْا وَهُمْ كٰفِرُوْنَ ( التوبة: ١٢٥ )
But as for
وَأَمَّا
और रहे
those
ٱلَّذِينَ
वो लोग
in
فِى
दिलों में जिनके
their hearts
قُلُوبِهِم
दिलों में जिनके
(is) a disease
مَّرَضٌ
मर्ज़ है
(it) increases them
فَزَادَتْهُمْ
तो उसने ज़्यादा कर दिया उन्हें
(in) evil
رِجْسًا
नजासत में
to
إِلَىٰ
तरफ़ उनकी नजासत के
their evil
رِجْسِهِمْ
तरफ़ उनकी नजासत के
And they die
وَمَاتُوا۟
और वो मर गए
while they
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
(are) disbelievers
كَٰفِرُونَ
काफ़िर थे
Waamma allatheena fee quloobihim maradun fazadathum rijsan ila rijsihim wamatoo wahum kafiroona (at-Tawbah 9:125)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
रहे वे लोग जिनके दिलों में रोग है, उनकी गन्दगी में अभिवृद्धि करते हुए उसने उन्हें उनकी अपनी गन्दगी में और आगे बढ़ा दिया। और वे मरे तो इनकार की दशा ही में
English Sahih:
But as for those in whose hearts is disease, it has [only] increased them in evil [in addition] to their evil. And they will have died while they are disbelievers. ([9] At-Tawbah : 125)