كَيْفَ وَاِنْ يَّظْهَرُوْا عَلَيْكُمْ لَا يَرْقُبُوْا فِيْكُمْ اِلًّا وَّلَا ذِمَّةً ۗيُرْضُوْنَكُمْ بِاَفْوَاهِهِمْ وَتَأْبٰى قُلُوْبُهُمْۚ وَاَكْثَرُهُمْ فٰسِقُوْنَۚ ( التوبة: ٨ )
Kayfa wain yathharoo 'alaykum la yarquboo feekum illan wala thimmatan yurdoonakum biafwahihim wataba quloobuhum waaktharuhum fasiqoona (at-Tawbah 9:8)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कैसे बाक़ी रह सकती है? जबकि उनका हाल यह है कि यदि वे तुम्हें दबा पाएँ तो वे न तुम्हारे विषय में किसी नाते-रिश्ते का ख़याल रखें औऱ न किसी अभिवचन का। वे अपने मुँह ही से तुम्हें राज़ी करते है, किन्तु उनके दिल इनकार करते रहते है और उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी है
English Sahih:
How [can there be a treaty] while, if they gain dominance over you, they do not observe concerning you any pact of kinship or covenant of protection? They satisfy you with their mouths, but their hearts refuse [compliance], and most of them are defiantly disobedient. ([9] At-Tawbah : 8)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है) जब (उनकी ये हालत है) कि अगर तुम पर ग़लबा पा जाएं तो तुम्हारे में न तो रिश्ते नाते ही का लिहाज़ करेगें और न अपने क़ौल व क़रार का ये लोग तुम्हें अपनी ज़बानी (जमा खर्च में) खुश कर देते हैं हालॉकि उनके दिल नहीं मानते और उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं