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وَاِذَآ اُنْزِلَتْ سُوْرَةٌ اَنْ اٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَجَاهِدُوْا مَعَ رَسُوْلِهِ اسْتَأْذَنَكَ اُولُوا الطَّوْلِ مِنْهُمْ وَقَالُوْا ذَرْنَا نَكُنْ مَّعَ الْقٰعِدِيْنَ   ( التوبة: ٨٦ )

And when
وَإِذَآ
और जब
was revealed
أُنزِلَتْ
उतारी जाती है
a Surah
سُورَةٌ
कोई सूरत
that;
أَنْ
कि
believe
ءَامِنُوا۟
ईमान लाओ
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and strive
وَجَٰهِدُوا۟
और जिहाद करो
with
مَعَ
साथ
His Messenger
رَسُولِهِ
उसके रसूल के
ask your permission
ٱسْتَـْٔذَنَكَ
इजाज़त माँगते हैं आपसे
(the) men
أُو۟لُوا۟
वुसअत वाले
(of) wealth
ٱلطَّوْلِ
वुसअत वाले
among them
مِنْهُمْ
उनमें से
and said
وَقَالُوا۟
और वो कहते हैं
"Leave us
ذَرْنَا
छोड़ दीजिए हमें
(to) be
نَكُن
कि हम हो जाऐं
with
مَّعَ
साथ बैठने वालों के
those who sit"
ٱلْقَٰعِدِينَ
साथ बैठने वालों के

Waitha onzilat sooratun an aminoo biAllahi wajahidoo ma'a rasoolihi istathanaka oloo alttawli minhum waqaloo tharna nakun ma'a alqa'ideena (at-Tawbah 9:86)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जब कोई सूरा उतरती है कि 'अल्लाह पर ईमान लाओ और उसके रसूल के साथ होकर जिहाद करो।' तो उनके सामर्थ्यवान लोग तुमसे छुट्टी माँगने लगते है और कहते है कि 'हमें छोड़ दो कि हम बैठनेवालों के साथ रह जाएँ।'

English Sahih:

And when a Surah was revealed [enjoining them] to believe in Allah and to fight with His Messenger, those of wealth among them asked your permission [to stay back] and said, "Leave us to be with them who sit [at home]." ([9] At-Tawbah : 86)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब कोई सूरा इस बारे में नाज़िल हुआ कि ख़ुदा को मानों और उसके रसूल के साथ जिहाद करो तो जो उनमें से दौलत वाले हैं वह तुमसे इजाज़त मांगते हैं और कहते हैं कि हमें (यहीं छोड़ दीजिए) कि हम भी (घर बैठने वालो के साथ (बैठे) रहें