اَفَمَنْ كَانَ عَلٰى بَيِّنَةٍ مِّنْ رَّبِّهٖ وَيَتْلُوْهُ شَاهِدٌ مِّنْهُ وَمِنْ قَبْلِهٖ كِتٰبُ مُوْسٰىٓ اِمَامًا وَّرَحْمَةًۗ اُولٰۤىِٕكَ يُؤْمِنُوْنَ بِهٖ ۗوَمَنْ يَّكْفُرْ بِهٖ مِنَ الْاَحْزَابِ فَالنَّارُ مَوْعِدُهٗ فَلَا تَكُ فِيْ مِرْيَةٍ مِّنْهُ اِنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَ النَّاسِ لَا يُؤْمِنُوْنَ ( هود: ١٧ )
Afaman kana 'ala bayyinatin min rabbihi wayatloohu shahidun minhu wamin qablihi kitabu moosa imaman warahmatan olaika yuminoona bihi waman yakfur bihi mina alahzabi faalnnaru maw'iduhu fala taku fee miryatin minhu innahu alhaqqu min rabbika walakinna akthara alnnasi la yuminoona (Hūd 11:17)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर क्या वह व्यक्ति जो अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर है और स्वयं उसके रूप में भी एक गवाह उसके साथ-साथ रहता है - और इससे पहले मूसा की किताब भी एक मार्गदर्शक और दयालुता के रूप में उपस्थित रही है- (और वह जो प्रकाश एवं मार्गदर्शन से वंचित है, दोनों बराबर हो सकते है) ऐसे ही लोग उसपर ईमान लाते है, किन्तु इन गिरोहों में से जो उसका इनकार करेगा तो उसके लिए जिस जगह का वादा है, वह तो आग है। अतः तुम्हें इसके विषय में कोई सन्देह न हो। यह तुम्हारे रब की ओर से सत्य है, किन्तु अधिकतर लोग मानते नहीं
English Sahih:
So is one who [stands] upon a clear evidence from his Lord [like the aforementioned]? And a witness from Him follows it, and before it was the Scripture of Moses to lead and as mercy. Those [believers in the former revelations] believe in it [i.e., the Quran]. But whoever disbelieves in it from the [various] factions – the Fire is his promised destination. So be not in doubt about it. Indeed, it is the truth from your Lord, but most of the people do not believe. ([11] Hud : 17)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो क्या जो शख़्श अपने परवरदिगार की तरफ से रौशन दलील पर हो और उसके पीछे ही पीछे उनका एक गवाह हो और उसके क़बल मूसा की किताब (तौरैत) जो (लोगों के लिए) पेशवा और रहमत थी (उसकी तसदीक़ करती हो वह बेहतर है या कोई दूसरा) यही लोग सच्चे ईमान लाने वाले और तमाम फिरक़ों में से जो शख़्श भी उसका इन्कार करे तो उसका ठिकाना बस आतिश (जहन्नुम) है तो फिर तुम कहीं उसकी तरफ से शक़ में न पड़े रहना, बेशक ये क़ुरान तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से बरहक़ है मगर बहुतेरे लोग ईमान नही लाते