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قِيْلَ يٰنُوْحُ اهْبِطْ بِسَلٰمٍ مِّنَّا وَبَرَكٰتٍ عَلَيْكَ وَعَلٰٓى اُمَمٍ مِّمَّنْ مَّعَكَ ۗوَاُمَمٌ سَنُمَتِّعُهُمْ ثُمَّ يَمَسُّهُمْ مِّنَّا عَذَابٌ اَلِيْمٌ  ( هود: ٤٨ )

It was said
قِيلَ
कहा गया
"O Nuh!
يَٰنُوحُ
ऐ नूह
Go down
ٱهْبِطْ
उतर जा
with peace
بِسَلَٰمٍ
साथ सलामती के
from Us
مِّنَّا
हमारी तरफ़ से
and blessings
وَبَرَكَٰتٍ
और बरकतों के
on you
عَلَيْكَ
तुझ पर
and on
وَعَلَىٰٓ
और जमाअतों पर
the nations
أُمَمٍ
और जमाअतों पर
from those
مِّمَّن
उनमें से जो
with you
مَّعَكَۚ
साथ हैं तेरे
But (to other) nations
وَأُمَمٌ
और कई जमाअतें
We will grant enjoyment;
سَنُمَتِّعُهُمْ
अनक़रीब हम फ़ायदा देंगे उन्हें
then
ثُمَّ
फिर
will touch them
يَمَسُّهُم
पहुँचेगा उन्हें
from Us
مِّنَّا
हमारी तरफ़ से
a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब
painful"
أَلِيمٌ
दर्दनाक

Qeela ya noohu ihbit bisalamin minna wabarakatin 'alayka wa'ala omamin mimman ma'aka waomamun sanumatti'uhum thumma yamassuhum minna 'athabun aleemun (Hūd 11:48)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहा गया, 'ऐ नूह! हमारी ओर से सलामती और उन बरकतों के साथ उतर, जो तुझपर और उन गिरोहों पर होगी, जो तेरे साथवालों में से होंगे। कुछ गिरोह ऐसे भी होंगे जिन्हें हम थोड़े दिनों का सुखोपभोग कराएँगे। फिर उन्हें हमारी ओर से दुखद यातना आ पहुँचेगी।'

English Sahih:

It was said, "O Noah, disembark in security from Us and blessings upon you and upon nations [descending] from those with you. But other nations [of them] We will grant enjoyment; then there will touch them from Us a painful punishment." ([11] Hud : 48)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो तुम पर हैं और जो लोग तुम्हारे साथ हैं उनमें से न कुछ लोगों पर और (तुम्हारे बाद) कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें हम थोड़े ही दिन बाद बहरावर करेगें फिर हमारी तरफ से उनको दर्दनाक अज़ाब पहुँचेगा