उन्होंने कहा, 'ऐ सालेह! इससे पहले तू हमारे बीच ऐसा व्यक्ति था जिससे बड़ी आशाएँ थीं। क्या तू हमें उनको पूजने से रोकता है जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते रहे है? जिनकी ओर तू हमें बुला रहा है उसके विषय में तो हमें संदेह है जो हमें दुविधा में डाले हुए है।'
English Sahih:
They said, "O Saleh, you were among us a man of promise before this. Do you forbid us to worship what our fathers worshipped? And indeed we are, about that to which you invite us, in disquieting doubt." ([11] Hud : 62)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
वह लोग कहने लगे ऐ सालेह इसके पहले तो तुमसे हमारी उम्मीदें वाबस्ता थी तो क्या अब तुम जिस चीज़ की परसतिश हमारे बाप दादा करते थे उसकी परसतिश से हमें रोकते हो और जिस दीन की तरफ तुम हमें बुलाते हो हम तो उसकी निस्बत ऐसे शक़ में पड़े हैं
2 Azizul-Haqq Al-Umary
उन्होंने कहाः हे सालेह! हमारे बीच इससे पहले तुझसे बड़ी आशा थी, क्या तू हमें इस बात से रोक रहा है कि हम उसकी पूजा करें, जिसकी पूजा हमारे बाप-दादा करते रहे? तू जिस चीज़ (एकेश्वरवाद) की ओर बुला रहा है, वास्तव में, उसके बारे में हमें संदेह है, जिसमें हमें द्विधा है।