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قَالُوْا يٰصٰلِحُ قَدْ كُنْتَ فِيْنَا مَرْجُوًّا قَبْلَ هٰذَآ اَتَنْهٰىنَآ اَنْ نَّعْبُدَ مَا يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَا وَاِنَّنَا لَفِيْ شَكٍّ مِّمَّا تَدْعُوْنَآ اِلَيْهِ مُرِيْبٍ  ( هود: ٦٢ )

They said
قَالُوا۟
उन्होंने कहा
O Salih!
يَٰصَٰلِحُ
ऐ सालेह
Verily
قَدْ
तहक़ीक़
you were
كُنتَ
था तू
among us
فِينَا
हमारे दर्मियान
the one in whom hope was placed
مَرْجُوًّا
जिससे उम्मीद रखी गई
before
قَبْلَ
क़ब्ल
this
هَٰذَآۖ
इसके
Do you forbid us
أَتَنْهَىٰنَآ
क्या तू रोकता है हमें
that
أَن
कि
we worship
نَّعْبُدَ
हम इबादत करें
what
مَا
जिसकी
our forefathers worshipped?
يَعْبُدُ
इबादत करते थे
our forefathers worshipped?
ءَابَآؤُنَا
आबा ओ अजदाद हमारे
And indeed we
وَإِنَّنَا
और बेशक हम
surely (are) in
لَفِى
अलबत्ता शक में हैं
doubt
شَكٍّ
अलबत्ता शक में हैं
about what
مِّمَّا
उससे जो
you call us
تَدْعُونَآ
तुम बुलाते हो हमें
to it
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
suspicious"
مُرِيبٍ
जो बेचैन कर देने वाला है

Qaloo ya salihu qad kunta feena marjuwwan qabla hatha atanhana an na'buda ma ya'budu abaona wainnana lafee shakkin mimma tad'oona ilayhi mureebun (Hūd 11:62)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन्होंने कहा, 'ऐ सालेह! इससे पहले तू हमारे बीच ऐसा व्यक्ति था जिससे बड़ी आशाएँ थीं। क्या तू हमें उनको पूजने से रोकता है जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते रहे है? जिनकी ओर तू हमें बुला रहा है उसके विषय में तो हमें संदेह है जो हमें दुविधा में डाले हुए है।'

English Sahih:

They said, "O Saleh, you were among us a man of promise before this. Do you forbid us to worship what our fathers worshipped? And indeed we are, about that to which you invite us, in disquieting doubt." ([11] Hud : 62)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

वह लोग कहने लगे ऐ सालेह इसके पहले तो तुमसे हमारी उम्मीदें वाबस्ता थी तो क्या अब तुम जिस चीज़ की परसतिश हमारे बाप दादा करते थे उसकी परसतिश से हमें रोकते हो और जिस दीन की तरफ तुम हमें बुलाते हो हम तो उसकी निस्बत ऐसे शक़ में पड़े हैं