وَمِنْ شَرِّ حَاسِدٍ اِذَا حَسَدَ ࣖ ( الفلق: ٥ )
And from
وَمِن
और शर से
(the) evil
شَرِّ
और शर से
(of) an envier
حَاسِدٍ
हासिद के
when
إِذَا
जब
he envies"
حَسَدَ
वो हसद रे
Wamin sharri hasidin itha hasada (al-Falaq̈ 113:5)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।'
English Sahih:
And from the evil of an envier when he envies." ([113] Al-Falaq : 5)