وَالَّذِيْنَ صَبَرُوا ابْتِغَاۤءَ وَجْهِ رَبِّهِمْ وَاَقَامُوا الصَّلٰوةَ وَاَنْفَقُوْا مِمَّا رَزَقْنٰهُمْ سِرًّا وَّعَلَانِيَةً وَّيَدْرَءُوْنَ بِالْحَسَنَةِ السَّيِّئَةَ اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ عُقْبَى الدَّارِۙ ( الرعد: ٢٢ )
Waallatheena sabaroo ibtighaa wajhi rabbihim waaqamoo alssalata waanfaqoo mimma razaqnahum sirran wa'alaniyatan wayadraoona bialhasanati alssayyiata olaika lahum 'uqba alddari (ar-Raʿd 13:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जिन लोगों ने अपने रब की प्रसन्नता की चाह में धैर्य से काम लिया और नमाज़ क़ायम की और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से खुले और छिपे ख़र्च किया, और भलाई के द्वारा बुराई को दूर करते है। वही लोग है जिनके लिए आख़िरत के घर का अच्छा परिणाम है,
English Sahih:
And those who are patient, seeking the face [i.e., acceptance] of their Lord, and establish prayer and spend from what We have provided for them secretly and publicly and prevent evil with good – those will have the good consequence of [this] home – ([13] Ar-Ra'd : 22)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ये) वह लोग हैं जो अपने परवरदिगार की खुशनूदी हासिल करने की ग़रज़ से (जो मुसीबत उन पर पड़ी है) झेल गए और पाबन्दी से नमाज़ अदा की और जो कुछ हमने उन्हें रोज़ी दी थी उसमें से छिपाकर और खुल कर ख़ुदा की राह में खर्च किया और ये लोग बुराई को भी भलाई स दफा करते हैं -यही लोग हैं जिनके लिए आख़िरत की खूबी मख़सूस है