۞ قَالَتْ رُسُلُهُمْ اَفِى اللّٰهِ شَكٌّ فَاطِرِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِۗ يَدْعُوْكُمْ لِيَغْفِرَ لَكُمْ مِّنْ ذُنُوْبِكُمْ وَيُؤَخِّرَكُمْ اِلٰٓى اَجَلٍ مُّسَمًّىۗ قَالُوْٓا اِنْ اَنْتُمْ اِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُنَا ۗ تُرِيْدُوْنَ اَنْ تَصُدُّوْنَا عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ اٰبَاۤؤُنَا فَأْتُوْنَا بِسُلْطٰنٍ مُّبِيْنٍ ( ابراهيم: ١٠ )
Qalat rusuluhum afee Allahi shakkun fatiri alssamawati waalardi yad'ookum liyaghfira lakum min thunoobikum wayuakhkhirakum ila ajalin musamman qaloo in antum illa basharun mithluna tureedoona an tasuddoona 'amma kana ya'budu abaona fatoona bisultanin mubeenin (ʾIbrāhīm 14:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उनके रसूलों ने कहो, 'क्या अल्लाह के विषय में संदेह है, जो आकाशों और धरती का रचयिता है? वह तो तुम्हें इसलिए बुला रहा है, ताकि तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर दे और तुम्हें एक नियत समय तक मुहल्ल दे।' उन्होंने कहा, 'तुम तो बस हमारे ही जैसे एक मनुष्य हो, चाहते हो कि हमें उनसे रोक दो जिनकी पूजा हमारे बाप-दादा करते आए है। अच्छा, तो अब हमारे सामने कोई स्पष्ट प्रमाण ले आओ।'
English Sahih:
Their messengers said, "Can there be doubt about Allah, Creator of the heavens and earth? He invites you that He may forgive you of your sins, and He delays you [i.e., your death] for a specified term." They said, "You are not but men like us who wish to avert us from what our fathers were worshipping. So bring us a clear authority [i.e., evidence]." ([14] Ibrahim : 10)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(तब) उनके पैग़म्बरों ने (उनसे) कहा क्या तुम को ख़ुदा के बारे में शक़ है जो सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला (और) वह तुमको अपनी तरफ बुलाता भी है तो इसलिए कि तुम्हारे गुनाह माफ कर दे और एक वक्त मुक़र्रर तक तुमको (दुनिया में चैन से) रहने दे वह लोग बोल उठे कि तुम भी बस हमारे ही से आदमी हो (अच्छा) अब समझे तुम ये चाहते हो कि जिन माबूदों की हमारे बाप दादा परसतिश करते थे तुम हमको उनसे बाज़ रखो अच्छा अगर तुम सच्चे हो तो कोई साफ खुला हुआ सरीही मौजिज़ा हमे ला दिखाओ