وَمَا مَنَعَنَآ اَنْ نُّرْسِلَ بِالْاٰيٰتِ اِلَّآ اَنْ كَذَّبَ بِهَا الْاَوَّلُوْنَۗ وَاٰتَيْنَا ثَمُوْدَ النَّاقَةَ مُبْصِرَةً فَظَلَمُوْا بِهَاۗ وَمَا نُرْسِلُ بِالْاٰيٰتِ اِلَّا تَخْوِيْفًا ( الإسراء: ٥٩ )
Wama mana'ana an nursila bialayati illa an kaththaba biha alawwaloona waatayna thamooda alnnaqata mubsiratan fathalamoo biha wama nursilu bialayati illa takhweefan (al-ʾIsrāʾ 17:59)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमें निशानियाँ (देकर नबी को) भेजने से इसके सिवा किसी चीज़ ने नहीं रोका कि पहले के लोग उनको झुठला चुके है। और (उदाहरणार्थ) हमने समूद को स्पष्ट प्रमाण के रूप में ऊँटनी दी, किन्तु उन्होंने ग़लत नीति अपनाकर स्वयं ही अपनी जानों पर ज़ुल्म किया। हम निशानियाँ तो डराने ही के लिए भेजते है
English Sahih:
And nothing has prevented Us from sending signs [i.e., miracles] except that the former peoples denied them. And We gave Thamud the she-camel as a visible sign, but they wronged her. And We send not the signs except as a warning. ([17] Al-Isra : 59)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और हमें मौजिज़ात भेजने से किसी चीज़ ने नहीं रोका मगर इसके सिवा कि अगलों ने उन्हें झुठला दिया और हमने क़ौमे समूद को (मौजिज़े से) ऊँटनी अता की जो (हमारी कुदरत की) दिखाने वाली थी तो उन लोगों ने उस पर ज़ुल्म किया यहाँ तक कि मार डाला और हम तो मौजिज़े सिर्फ डराने की ग़रज़ से भेजा करते हैं