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وَلَقَدْ صَرَّفْنَا فِيْ هٰذَا الْقُرْاٰنِ لِلنَّاسِ مِنْ كُلِّ مَثَلٍۗ وَكَانَ الْاِنْسَانُ اَكْثَرَ شَيْءٍ جَدَلًا   ( الكهف: ٥٤ )

And certainly
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
We have explained
صَرَّفْنَا
फेर-फेर कर बयान की हमने
in
فِى
इस क़ुरआन में
this
هَٰذَا
इस क़ुरआन में
the Quran
ٱلْقُرْءَانِ
इस क़ुरआन में
for mankind
لِلنَّاسِ
लोगों के लिए
of
مِن
हर तरह की
every
كُلِّ
हर तरह की
example
مَثَلٍۚ
मिसाल
But is
وَكَانَ
और है
the man
ٱلْإِنسَٰنُ
इन्सान
(in) most
أَكْثَرَ
ज़्यादा
things
شَىْءٍ
हर चीज़ से
quarrelsome
جَدَلًا
झगड़ा करने में

Walaqad sarrafna fee hatha alqurani lilnnasi min kulli mathalin wakana alinsanu akthara shayin jadalan (al-Kahf 18:54)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हमने लोगों के लिए इस क़ुरआन में हर प्रकार के उत्तम विषयों को तरह-तरह से बयान किया है, किन्तु मनुष्य सबसे बढ़कर झगड़ालू है

English Sahih:

And We have certainly diversified in this Quran for the people from every [kind of] example; but man has ever been, most of anything, [prone to] dispute. ([18] Al-Kahf : 54)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हमने तो इस क़ुरान में लोगों (के समझाने) के वास्ते हर तरह की मिसालें फेर बदल कर बयान कर दी है मगर इन्सान तो तमाम मख़लूक़ात से ज्यादा झगड़ालू है