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وَاَنْذِرْهُمْ يَوْمَ الْحَسْرَةِ اِذْ قُضِيَ الْاَمْرُۘ وَهُمْ فِيْ غَفْلَةٍ وَّهُمْ لَا يُؤْمِنُوْنَ   ( مريم: ٣٩ )

And warn them
وَأَنذِرْهُمْ
और डराइए उन्हें
(of the) Day
يَوْمَ
हसरत के दिन से
(of) the Regret
ٱلْحَسْرَةِ
हसरत के दिन से
when
إِذْ
जब
has been decided
قُضِىَ
फ़ैसला किया जाएगा
the matter
ٱلْأَمْرُ
इस मामले का
And they
وَهُمْ
और वो
(are) in
فِى
(अब) ग़फ़लत में हैं
heedlessness
غَفْلَةٍ
(अब) ग़फ़लत में हैं
and they
وَهُمْ
और वो
(do) not
لَا
नहीं वो ईमान लाते
believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो ईमान लाते

Waanthirhum yawma alhasrati ith qudiya alamru wahum fee ghaflatin wahum la yuminoona (Maryam 19:39)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन्हें पश्चाताप के दिन से डराओ, जबकि मामले का फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनका हाल यह है कि वे ग़फ़लत में पड़े हुए है और वे ईमान नहीं ला रहे है

English Sahih:

And warn them, [O Muhammad], of the Day of Regret, when the matter will be concluded; and [yet], they are in [a state of] heedlessness, and they do not believe. ([19] Maryam : 39)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) तुम उनको हसरत (अफ़सोस) के दिन से डराओ जब क़तई फैसला कर दिया जाएगा और (इस वक्त तो) ये लोग ग़फलत में (पड़े हैं)