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يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تُبْطِلُوْا صَدَقٰتِكُمْ بِالْمَنِّ وَالْاَذٰىۙ كَالَّذِيْ يُنْفِقُ مَالَهٗ رِئَاۤءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِۗ فَمَثَلُهٗ كَمَثَلِ صَفْوَانٍ عَلَيْهِ تُرَابٌ فَاَصَابَهٗ وَابِلٌ فَتَرَكَهٗ صَلْدًا ۗ لَا يَقْدِرُوْنَ عَلٰى شَيْءٍ مِّمَّا كَسَبُوْا ۗ وَاللّٰهُ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الْكٰفِرِيْنَ  ( البقرة: ٢٦٤ )

O you
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
who
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
believe[d]!
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
(Do) not
لَا
ना तुम ज़ाया करो
render in vain
تُبْطِلُوا۟
ना तुम ज़ाया करो
your charities
صَدَقَٰتِكُم
अपने सदक़ात को
with reminders (of it)
بِٱلْمَنِّ
साथ एहसान
or [the] hurt
وَٱلْأَذَىٰ
और अज़ियत के
like the one who
كَٱلَّذِى
उसकी तरह जो
spends
يُنفِقُ
ख़र्च करता है
his wealth
مَالَهُۥ
माल अपना
(to) be seen
رِئَآءَ
दिखाने के लिए
(by) the people
ٱلنَّاسِ
लोगों को
and (does) not
وَلَا
और नहीं
believe
يُؤْمِنُ
वो ईमान लाता
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and the Day
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
[the] Last
ٱلْءَاخِرِۖ
और आख़िरी दिन पर
Then his example
فَمَثَلُهُۥ
तो मिसाल उसकी
(is) like
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
(that of a) smooth rock
صَفْوَانٍ
चिकने पत्थर के है
upon it
عَلَيْهِ
जिस पर
(is) dust
تُرَابٌ
मिट्टी हो
then fell on it
فَأَصَابَهُۥ
तो पहुँचे उसे
heavy rain
وَابِلٌ
तेज़ बारिश
then left it
فَتَرَكَهُۥ
तो वो छोड़ दे उसे
bare
صَلْدًاۖ
साफ़ चट्टान
Not
لَّا
नहीं वो क़ुदरत रखते होंगे
they have control
يَقْدِرُونَ
नहीं वो क़ुदरत रखते होंगे
on
عَلَىٰ
किसी चीज़ पर
anything
شَىْءٍ
किसी चीज़ पर
of what
مِّمَّا
उसमें से जो
they (have) earned
كَسَبُوا۟ۗ
उन्होंने कमाई की
And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
(does) not
لَا
नहीं वो हिदायत देता
guide
يَهْدِى
नहीं वो हिदायत देता
the people
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
[the] disbelieving
ٱلْكَٰفِرِينَ
जो काफ़िर हैं

Ya ayyuha allatheena amanoo la tubtiloo sadaqatikum bialmanni waalatha kaallathee yunfiqu malahu riaa alnnasi wala yuminu biAllahi waalyawmi alakhiri famathaluhu kamathali safwanin 'alayhi turabun faasabahu wabilun fatarakahu saldan la yaqdiroona 'ala shayin mimma kasaboo waAllahu la yahdee alqawma alkafireena (al-Baq̈arah 2:264)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ ईमानवालो! अपने सदक़ो को एहसान जताकर और दुख देकर उस व्यक्ति की तरह नष्ट न करो जो लोगों को दिखाने के लिए अपना माल ख़र्च करता है और अल्लाह और अंतिम दिन पर ईमान नहीं रखता। तो उसकी हालत उस चट्टान जैसी है जिसपर कुछ मिट्टी पड़ी हुई थी, फिर उस पर ज़ोर की वर्षा हुई और उसे साफ़ चट्टान की दशा में छोड़ गई। ऐसे लोग अपनी कमाई कुछ भी प्राप्त नहीं करते। और अल्लाह इनकार की नीति अपनानेवालों को मार्ग नहीं दिखाता

English Sahih:

O you who have believed, do not invalidate your charities with reminders [of it] or injury as does one who spends his wealth [only] to be seen by the people and does not believe in Allah and the Last Day. His example is like that of a [large] smooth stone upon which is dust and is hit by a downpour that leaves it bare. They are unable [to keep] anything of what they have earned. And Allah does not guide the disbelieving people. ([2] Al-Baqarah : 264)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ ईमानदारों आपनी खैरात को एहसान जताने और (सायल को) ईज़ा (तकलीफ) देने की वजह से उस शख्स की तरह अकारत मत करो जो अपना माल महज़ लोगों को दिखाने के वास्ते ख़र्च करता है और ख़ुदा और रोजे आखेरत पर ईमान नहीं रखता तो उसकी खैरात की मिसाल उस चिकनी चट्टान की सी है जिसपर कुछ ख़ाक (पड़ी हुई) हो फिर उसपर ज़ोर शोर का (बड़े बड़े क़तरों से) मेंह बरसे और उसको (मिट्टी को बहाके) चिकना चुपड़ा छोड़ जाए (इसी तरह) रियाकार अपनी उस ख़ैरात या उसके सवाब में से जो उन्होंने की है किसी चीज़ पर क़ब्ज़ा न पाएंगे (न दुनिया में न आख़ेरत में) और ख़ुदा काफ़िरों को हिदायत करके मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाया करता