وَنَضَعُ الْمَوَازِيْنَ الْقِسْطَ لِيَوْمِ الْقِيٰمَةِ فَلَا تُظْلَمُ نَفْسٌ شَيْـًٔاۗ وَاِنْ كَانَ مِثْقَالَ حَبَّةٍ مِّنْ خَرْدَلٍ اَتَيْنَا بِهَاۗ وَكَفٰى بِنَا حَاسِبِيْنَ ( الأنبياء: ٤٧ )
Wanada'u almawazeena alqista liyawmi alqiyamati fala tuthlamu nafsun shayan wain kana mithqala habbatin min khardalin atayna biha wakafa bina hasibeena (al-ʾAnbiyāʾ 21:47)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और हम बज़नी, अच्छे न्यायपूर्ण कामों को क़ियामत के दिन के लिए रख रहे है। फिर किसी व्यक्ति पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा, यद्यपि वह (कर्म) राई के दाने के बराबर हो, हम उसे ला उपस्थित करेंगे। और हिसाब करने के लिए हम काफ़ी है
English Sahih:
And We place the scales of justice for the Day of Resurrection, so no soul will be treated unjustly at all. And if there is [even] the weight of a mustard seed, We will bring it forth. And sufficient are We as accountant. ([21] Al-Anbya : 47)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और क़यामत के दिन तो हम (बन्दों के भले बुरे आमाल तौलने के लिए) इन्साफ़ की तराज़ू में खड़ी कर देंगे तो फिर किसी शख्स पर कुछ भी ज़ुल्म न किया जाएगा और अगर राई के दाने के बराबर भी किसी का (अमल) होगा तो तुम उसे ला हाज़िर करेंगे और हम हिसाब करने के वास्ते बहुत काफ़ी हैं