وَذَا النُّوْنِ اِذْ ذَّهَبَ مُغَاضِبًا فَظَنَّ اَنْ لَّنْ نَّقْدِرَ عَلَيْهِ فَنَادٰى فِى الظُّلُمٰتِ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّآ اَنْتَ سُبْحٰنَكَ اِنِّيْ كُنْتُ مِنَ الظّٰلِمِيْنَ ۚ ( الأنبياء: ٨٧ )
Watha alnnooni ith thahaba mughadiban fathanna an lan naqdira 'alayhi fanada fee alththulumati an la ilaha illa anta subhanaka innee kuntu mina alththalimeena (al-ʾAnbiyāʾ 21:87)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और ज़ुन्नून (मछलीवाले) पर भी दया दर्शाई। याद करो जबकि वह अत्यन्त क्रद्ध होकर चल दिया और समझा कि हम उसे तंगी में न डालेंगे। अन्त में उसनें अँधेरों में पुकारा, 'तेरे सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं, महिमावान है तू! निस्संदेह मैं दोषी हूँ।'
English Sahih:
And [mention] the man of the fish [i.e., Jonah], when he went off in anger and thought that We would not decree [anything] upon him. And he called out within the darknesses, "There is no deity except You; exalted are You. Indeed, I have been of the wrongdoers." ([21] Al-Anbya : 87)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जुन्नून (यूनुस को याद करो) जबकि गुस्से में आकर चलते हुए और ये ख्याल न किया कि हम उन पर रोज़ी तंग न करेंगे (तो हमने उन्हें मछली के पेट में पहुँचा दिया) तो (घटाटोप) अंधेरे में (घबराकर) चिल्ला उठा कि (परवरदिगार) तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है बेशक मैं कुसूरवार हूँ