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فَاسْتَجَبْنَا لَهٗۙ وَنَجَّيْنٰهُ مِنَ الْغَمِّۗ وَكَذٰلِكَ نُـْۨجِى الْمُؤْمِنِيْنَ   ( الأنبياء: ٨٨ )

So We responded
فَٱسْتَجَبْنَا
तो दुआ क़ुबूल कर ली हमने
to him
لَهُۥ
उसकी
and We saved him
وَنَجَّيْنَٰهُ
और निजात दी हमने उसे
from
مِنَ
ग़म से
the distress
ٱلْغَمِّۚ
ग़म से
And thus
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
We save
نُۨجِى
हम निजात दिया करते हैं
the believers
ٱلْمُؤْمِنِينَ
ईमान वालों को

Faistajabna lahu wanajjaynahu mina alghammi wakathalika nunjee almumineena (al-ʾAnbiyāʾ 21:88)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तब हमने उसकी प्रार्थना स्वीकार की और उसे ग़म से छुटकारा दिया। इसी प्रकार तो हम मोमिनों को छुटकारा दिया करते है

English Sahih:

So We responded to him and saved him from the distress. And thus do We save the believers. ([21] Al-Anbya : 88)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो हमने उनकी दुआ कुबूल की और उन्हें रंज से नजात दी और हम तो ईमानवालों को यूँ ही नजात दिया करते हैं