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لِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا هُمْ نَاسِكُوْهُ فَلَا يُنَازِعُنَّكَ فِى الْاَمْرِ وَادْعُ اِلٰى رَبِّكَۗ اِنَّكَ لَعَلٰى هُدًى مُّسْتَقِيْمٍ   ( الحج: ٦٧ )

For every
لِّكُلِّ
वास्ते हर
nation
أُمَّةٍ
उम्मत के
We have made
جَعَلْنَا
मुक़र्रर किया हमने
rite(s)
مَنسَكًا
इबादत का तरीक़ा
they
هُمْ
वो
perform it
نَاسِكُوهُۖ
चलने वाले हैं उस पर
So let them not dispute with you
فَلَا
तो ना
So let them not dispute with you
يُنَٰزِعُنَّكَ
वो हरगिज़ झगड़ा करें आपसे
in
فِى
इस मामले में
the matter
ٱلْأَمْرِۚ
इस मामले में
but invite (them)
وَٱدْعُ
और दावत दीजिए
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
your Lord
رَبِّكَۖ
तरफ़ अपने रब के
Indeed, you
إِنَّكَ
बेशक आप
(are) surely on
لَعَلَىٰ
अलबत्ता ऊपर
guidance
هُدًى
हिदायत
straight
مُّسْتَقِيمٍ
सीधी के हैं

Likulli ommatin ja'alna mansakan hum nasikoohu fala yunazi'unnaka fee alamri waod'u ila rabbika innaka la'ala hudan mustaqeemin (al-Ḥajj 22:67)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

प्रत्येक समुदाय के लिए हमने बन्दगी की एक रीति निर्धारित कर दी है, जिसका पालन उसके लोग करते है। अतः इस मामले में वे तुमसे झगड़ने की राह न पाएँ। तुम तो अपने रब की ओर बुलाए जाओ। निस्संदेह तुम सीधे मार्ग पर हो

English Sahih:

For every [religious] community We have appointed rites which they perform. So, [O Muhammad], let them [i.e., the disbelievers] not contend with you over the matter but invite [them] to your Lord. Indeed, you are upon straight guidance. ([22] Al-Hajj : 67)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

इसमें शक नहीं कि इन्सान बड़ा ही नाशुक्रा है (ऐ रसूल) हमने हर उम्मत के वास्ते एक तरीक़ा मुक़र्रर कर दिया कि वह इस पर चलते हैं फिर तो उन्हें इस दीन (इस्लाम) में तुम से झगड़ा न करना चाहिए और तुम (लोगों को) अपने परवरदिगार की तरफ बुलाए जाओ