وَحُشِرَ لِسُلَيْمٰنَ جُنُوْدُهٗ مِنَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ وَالطَّيْرِ فَهُمْ يُوْزَعُوْنَ ( النمل: ١٧ )
And were gathered
وَحُشِرَ
और इकट्ठा किए गए
for Sulaiman
لِسُلَيْمَٰنَ
सुलैमान के लिए
his hosts
جُنُودُهُۥ
उसके लश्कर
of
مِنَ
जिन्नों में से
jinn
ٱلْجِنِّ
जिन्नों में से
and the men
وَٱلْإِنسِ
और इन्सानों
and the birds
وَٱلطَّيْرِ
और परिन्दों में से
and they
فَهُمْ
तो वो
(were) set in rows
يُوزَعُونَ
वो गिरोहों में तक़सीम किए जाते हैं
Wahushira lisulaymana junooduhu mina aljinni waalinsi waalttayri fahum yooza'oona (an-Naml 27:17)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सुलैमान के लिए जिन्न और मनुष्य और पक्षियों मे से उसकी सेनाएँ एकत्र कर गई फिर उनकी दर्जाबन्दी की जा रही थी
English Sahih:
And gathered for Solomon were his soldiers of the jinn and men and birds, and they were [marching] in rows ([27] An-Naml : 17)