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اُولٰۤىِٕكَ يُؤْتَوْنَ اَجْرَهُمْ مَّرَّتَيْنِ بِمَا صَبَرُوْا وَيَدْرَءُوْنَ بِالْحَسَنَةِ السَّيِّئَةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ يُنْفِقُوْنَ   ( القصص: ٥٤ )

Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
will be given
يُؤْتَوْنَ
जो दिए जाऐंगे
their reward
أَجْرَهُم
अज्र अपना
twice
مَّرَّتَيْنِ
दो बार
because
بِمَا
बवजह उसके जो
they are patient
صَبَرُوا۟
उन्होंने सब्र किया
and they repel
وَيَدْرَءُونَ
और वो दूर करते हैं
with good -
بِٱلْحَسَنَةِ
साथ भलाई के
the evil
ٱلسَّيِّئَةَ
बुराई को
and from what
وَمِمَّا
और उसमें से जो
We have provided them
رَزَقْنَٰهُمْ
रिज़्क़ दिया हमने उन्हें
they spend
يُنفِقُونَ
वो ख़र्च करते हैं

Olaika yutawna ajrahum marratayni bima sabaroo wayadraoona bialhasanati alssayyiata wamimma razaqnahum yunfiqoona (al-Q̈aṣaṣ 28:54)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ये वे लोग है जिन्हें उनका प्रतिदान दुगना दिया जाएगा, क्योंकि वे जमे रहे और भलाई के द्वारा बुराई को दूर करते है और जो कुछ रोज़ी हमने उन्हें दी हैं, उसमें से ख़र्च करते है

English Sahih:

Those will be given their reward twice for what they patiently endured and [because] they avert evil through good, and from what We have provided them they spend. ([28] Al-Qasas : 54)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

यही वह लोग हैं जिन्हें (इनके आमाले ख़ैर की) दोहरी जज़ा दी जाएगी-चूँकि उन लोगों ने सब्र किया और बदी को नेकी से दफ़ा करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें अता किया है उसमें से (हमारी राह में) ख़र्च करते हैं