وَمَا كَانَ لِنَبِيٍّ اَنْ يَّغُلَّ ۗوَمَنْ يَّغْلُلْ يَأْتِ بِمَا غَلَّ يَوْمَ الْقِيٰمَةِ ۚ ثُمَّ تُوَفّٰى كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ( آل عمران: ١٦١ )
Wama kana linabiyyin an yaghulla waman yaghlul yati bima ghalla yawma alqiyamati thumma tuwaffa kullu nafsin ma kasabat wahum la yuthlamoona (ʾĀl ʿImrān 3:161)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यह किसी नबी के लिए सम्भब नहीं कि वह दिल में कीना-कपट रखे, और जो कोई कीना-कपट रखेगा तो वह क़ियामत के दिन अपने द्वेष समेत हाज़िर होगा। और प्रत्येक व्यक्ति को उसकी कमाई का पूरा-पूरा बदला दे दिया जाएँगा और उनपर कुछ भी ज़ुल्म न होगा
English Sahih:
It is not [attributable] to any prophet that he would act unfaithfully [in regard to war booty]. And whoever betrays, [taking unlawfully], will come with what he took on the Day of Resurrection. Then will every soul be [fully] compensated for what it earned, and they will not be wronged. ([3] Ali 'Imran : 161)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (तुम्हारा गुमान बिल्कुल ग़लत है) किसी नबी की (हरगिज़) ये शान नहीं कि ख्यानत करे और ख्यानत करेगा तो जो चीज़ ख्यानत की है क़यामत के दिन वही चीज़ (बिलकुल वैसा ही) ख़ुदा के सामने लाना होगा फिर हर शख्स अपने किए का पूरा पूरा बदला पाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी