اِنَّمَا يُؤْمِنُ بِاٰيٰتِنَا الَّذِيْنَ اِذَا ذُكِّرُوْا بِهَا خَرُّوْا سُجَّدًا وَّسَبَّحُوْا بِحَمْدِ رَبِّهِمْ وَهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُوْنَ ۩ ( السجدة: ١٥ )
Only
إِنَّمَا
बेशक
believe
يُؤْمِنُ
ईमान लाते हैं
in Our Verses
بِـَٔايَٰتِنَا
हमारी आयात पर
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग
when
إِذَا
जब
they are reminded
ذُكِّرُوا۟
वो नसीहत किए जाते हैं
of them
بِهَا
साथ उनके
fall down
خَرُّوا۟
वो गिर पड़ते हैं
prostrating
سُجَّدًا
सजदा करते हुए
and glorify
وَسَبَّحُوا۟
और वो तस्बीह करते हैं
(the) praises
بِحَمْدِ
साथ हम्द के
(of) their Lord
رَبِّهِمْ
अपने रब की
and they
وَهُمْ
और वो
are not arrogant
لَا
नहीं वो तकब्बुर करते
are not arrogant
يَسْتَكْبِرُونَ۩
नहीं वो तकब्बुर करते
Innama yuminu biayatina allatheena itha thukkiroo biha kharroo sujjadan wasabbahoo bihamdi rabbihim wahum la yastakbiroona (as-Sajdah 32:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हमारी आयतों पर जो बस वही लोग ईमान लाते है, जिन्हें उनके द्वारा जब याद दिलाया जाता है तो सजदे में गिर पड़ते है और अपने रब का गुणगान करते है और घमंड नहीं करते
English Sahih:
Only those believe in Our verses who, when they are reminded by them, fall down in prostration and exalt [Allah] with praise of their Lord, and they are not arrogant. ([32] As-Sajdah : 15)