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فَلَا تَعْلَمُ نَفْسٌ مَّآ اُخْفِيَ لَهُمْ مِّنْ قُرَّةِ اَعْيُنٍۚ جَزَاۤءًۢ بِمَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ  ( السجدة: ١٧ )

And not
فَلَا
पस नहीं
knows
تَعْلَمُ
जानता
a soul
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
what
مَّآ
जो कुछ
is hidden
أُخْفِىَ
छुपाया गया है
for them
لَهُم
उनके लिए
of
مِّن
ठंडक से
(the) comfort
قُرَّةِ
ठंडक से
(for) the eyes
أَعْيُنٍ
आँखों की
(as) a reward
جَزَآءًۢ
बदला है
for what
بِمَا
उसका जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
do
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते

Fala ta'lamu nafsun ma okhfiya lahum min qurrati a'yunin jazaan bima kanoo ya'maloona (as-Sajdah 32:17)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर कोई प्राणी नहीं जानता आँखों की जो ठंडक उसके लिए छिपा रखी गई है उसके बदले में देने के ध्येय से जो वे करते रहे होंगे

English Sahih:

And no soul knows what has been hidden for them of comfort for eyes [i.e., satisfaction] as reward for what they used to do. ([32] As-Sajdah : 17)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

उन लोगों की कारगुज़ारियों के बदले में कैसी कैसी ऑंखों की ठन्डक उनके लिए ढकी छिपी रखी है उसको कोई शख़्श जानता ही नहीं