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يٰقَوْمِ اِنَّمَا هٰذِهِ الْحَيٰوةُ الدُّنْيَا مَتَاعٌ ۖوَّاِنَّ الْاٰخِرَةَ هِيَ دَارُ الْقَرَارِ  ( غافر: ٣٩ )

O my people!
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
Only
إِنَّمَا
बेशक
this
هَٰذِهِ
ये
the life
ٱلْحَيَوٰةُ
ज़िन्दगी
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
(is) enjoyment
مَتَٰعٌ
थोड़ा फ़ायदा है
and indeed
وَإِنَّ
और बेशक
the Hereafter -
ٱلْءَاخِرَةَ
आख़िरत
it
هِىَ
वो ही
(is the) home
دَارُ
घर है
(of) settlement
ٱلْقَرَارِ
क़रार का

Ya qawmi innama hathihi alhayatu alddunya mata'un wainna alakhirata hiya daru alqarari (Ghāfir 40:39)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ मेरी क़ौम के लोगो! यह सांसारिक जीवन तो बस अस्थायी उपभोग है। निश्चय ही स्थायी रूप से ठहरनेका घर तो आख़िरत ही है

English Sahih:

O my people, this worldly life is only [temporary] enjoyment, and indeed, the Hereafter – that is the home of [permanent] settlement. ([40] Ghafir : 39)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

भाईयों ये दुनियावी ज़िन्दगी तो बस (चन्द रोज़ा) फ़ायदा है और आखेरत ही हमेशा रहने का घर है