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وَمَنْ اَحْسَنُ قَوْلًا مِّمَّنْ دَعَآ اِلَى اللّٰهِ وَعَمِلَ صَالِحًا وَّقَالَ اِنَّنِيْ مِنَ الْمُسْلِمِيْنَ   ( فصلت: ٣٣ )

And who
وَمَنْ
और कौन
(is) better
أَحْسَنُ
ज़्यादा अच्छा है
(in) speech
قَوْلًا
बात में
than (one) who
مِّمَّن
उससे जो
invites
دَعَآ
बुलाए
to
إِلَى
तरफ़ अल्लाह के
Allah
ٱللَّهِ
तरफ़ अल्लाह के
and does
وَعَمِلَ
और वो अमल करे
righteous (deeds)
صَٰلِحًا
नेक
and says
وَقَالَ
और वो कहे
"Indeed I am
إِنَّنِى
बेशक मैं
of
مِنَ
मुसलमानों में से हूँ
those who submit?"
ٱلْمُسْلِمِينَ
मुसलमानों में से हूँ

Waman ahsanu qawlan mimman da'a ila Allahi wa'amila salihan waqala innanee mina almuslimeena (Fuṣṣilat 41:33)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उस व्यक्ति से बात में अच्छा कौन हो सकता है जो अल्लाह की ओर बुलाए और अच्छे कर्म करे और कहे, 'निस्संदेह मैं मुस्लिम (आज्ञाकारी) हूँ?'

English Sahih:

And who is better in speech than one who invites to Allah and does righteousness and says, "Indeed, I am of the Muslims." ([41] Fussilat : 33)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और इस से बेहतर किसकी बात हो सकती है जो (लोगों को) ख़ुदा की तरफ बुलाए और अच्छे अच्छे काम करे और कहे कि मैं भी यक़ीनन (ख़ुदा के) फरमाबरदार बन्दों में हूं