وَّيَعْلَمَ الَّذِيْنَ يُجَادِلُوْنَ فِيْٓ اٰيٰتِنَاۗ مَا لَهُمْ مِّنْ مَّحِيْصٍ ( الشورى: ٣٥ )
And may know
وَيَعْلَمَ
और (ताकि) जान लें
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
dispute
يُجَٰدِلُونَ
झगड़ते हैं
concerning
فِىٓ
हमारी आयात में
Our Signs
ءَايَٰتِنَا
हमारी आयात में
(that) not
مَا
नहीं
for them
لَهُم
उनके लिए
any
مِّن
कोई जाए पनाह
place of refuge
مَّحِيصٍ
कोई जाए पनाह
Waya'lama allatheena yujadiloona fee ayatina ma lahum min maheesin (aš-Šūrā 42:35)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और परिणामतः वे लोग जान लें जो हमारी आयतों में झगड़ते है कि उनके लिए भागने की कोई जगह नहीं
English Sahih:
And [that is so] those who dispute concerning Our signs may know that for them there is no place of escape. ([42] Ash-Shuraa : 35)