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فَمَا بَكَتْ عَلَيْهِمُ السَّمَاۤءُ وَالْاَرْضُۗ وَمَا كَانُوْا مُنْظَرِيْنَ ࣖ  ( الدخان: ٢٩ )

And not
فَمَا
तो ना
wept
بَكَتْ
रोए
for them
عَلَيْهِمُ
उन पर
the heaven
ٱلسَّمَآءُ
आसमान
and the earth
وَٱلْأَرْضُ
और ज़मीन
and not
وَمَا
और ना
they were
كَانُوا۟
थे वो
given respite
مُنظَرِينَ
मोहलत दिए जाने वाले

Fama bakat 'alayhimu alssamao waalardu wama kanoo munthareena (ad-Dukhān 44:29)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फिर न तो आकाश और धरती ने उनपर विलाप किया और न उन्हें मुहलत ही मिली

English Sahih:

And the heaven and earth wept not for them, nor were they reprieved. ([44] Ad-Dukhan : 29)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो उन लोगों पर आसमान व ज़मीन को भी रोना न आया और न उन्हें मोहलत ही दी गयी