قُلْ اَرَءَيْتُمْ اِنْ كَانَ مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ وَكَفَرْتُمْ بِهٖ وَشَهِدَ شَاهِدٌ مِّنْۢ بَنِيْٓ اِسْرَاۤءِيْلَ عَلٰى مِثْلِهٖ فَاٰمَنَ وَاسْتَكْبَرْتُمْۗ اِنَّ اللّٰهَ لَا يَهْدِى الْقَوْمَ الظّٰلِمِيْنَ ࣖ ( الأحقاف: ١٠ )
Qul araaytum in kana min 'indi Allahi wakafartum bihi washahida shahidun min banee israeela 'ala mithlihi faamana waistakbartum inna Allaha la yahdee alqawma alththalimeena (al-ʾAḥq̈āf 46:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या तुमने सोचा भी (कि तुम्हारा क्या परिणाम होगा)? यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह के यहाँ से हुआ और तुमने उसका इनकार कर दिया, हालाँकि इसराईल की सन्तान में से एक गवाह ने उसके एक भाग की गवाही भी दी। सो वह ईमान ले आया और तुम घमंड में पड़े रहे। अल्लाह तो ज़ालिम लोगों को मार्ग नहीं दिखाता।'
English Sahih:
Say, "Have you considered: if it [i.e., the Quran] was from Allah, and you disbelieved in it while a witness from the Children of Israel has testified to something similar and believed while you were arrogant...?" Indeed, Allah does not guide the wrongdoing people. ([46] Al-Ahqaf : 10)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि भला देखो तो कि अगर ये (क़ुरान) ख़ुदा की तरफ से हो और तुम उससे इन्कार कर बैठे हालॉकि (बनी इसराईल में से) एक गवाह उसके मिसल की गवाही भी दे चुका और ईमान भी ले आया और तुमने सरकशी की (तो तुम्हारे ज़ालिम होने में क्या शक़ है) बेशक ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मन्ज़िल मक़सूद तक नहीं पहुँचाता