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اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَوْ اَنَّ لَهُمْ مَّا فِى الْاَرْضِ جَمِيْعًا وَّمِثْلَهٗ مَعَهٗ لِيَفْتَدُوْا بِهٖ مِنْ عَذَابِ يَوْمِ الْقِيٰمَةِ مَا تُقُبِّلَ مِنْهُمْ ۚ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ  ( المائدة: ٣٦ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
if
لَوْ
अगर
that
أَنَّ
बेशक
for them
لَهُم
उनके लिए हो
(is) what
مَّا
जो कुछ
(is) in
فِى
ज़मीन में है
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में है
all
جَمِيعًا
सारे का सारा
and the like of it
وَمِثْلَهُۥ
और मानिन्द उसी के
with it
مَعَهُۥ
साथ उसके
to ransom themselves
لِيَفْتَدُوا۟
ताकि वो फ़िदया दें
with it
بِهِۦ
साथ उसके
from
مِنْ
अज़ाब से (बचने के लिए)
(the) punishment
عَذَابِ
अज़ाब से (बचने के लिए)
(of the) Day
يَوْمِ
दिन
(of) the Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِ
क़यामत के
not
مَا
ना
will be accepted
تُقُبِّلَ
वो क़ुबूल किया जाएगा
from them
مِنْهُمْۖ
उनसे
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक

Inna allatheena kafaroo law anna lahum ma fee alardi jamee'an wamithlahu ma'ahu liyaftadoo bihi min 'athabi yawmi alqiyamati ma tuqubbila minhum walahum 'athabun aleemun (al-Māʾidah 5:36)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन लोगों ने इनकार किया यदि उनके पास वह सब कुछ हो जो सारी धरती में है और उतना ही उसके साथ भी हो कि वह उसे देकर क़ियामत के दिन की यातना से बच जाएँ; तब भी उनकी ओर से यह सब दी जानेवाली वस्तुएँ स्वीकार न की जाएँगी। उनके लिए दुखद यातना ही है

English Sahih:

Indeed, those who disbelieve – if they should have all that is in the earth and the like of it with it by which to ransom themselves from the punishment of the Day of Resurrection, it will not be accepted from them, and for them is a painful punishment. ([5] Al-Ma'idah : 36)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

इसमें शक नहीं कि जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया अगर उनके पास ज़मीन में जो कुछ (माल ख़ज़ाना) है (वह) सब बल्कि उतना और भी उसके साथ हो कि रोज़े क़यामत के अज़ाब का मुआवेज़ा दे दे (और ख़ुद बच जाए) तब भी (उसका ये मुआवेज़ा) कुबूल न किया जाएगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है