يٰمَعْشَرَ الْجِنِّ وَالْاِنْسِ اِنِ اسْتَطَعْتُمْ اَنْ تَنْفُذُوْا مِنْ اَقْطَارِ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ فَانْفُذُوْاۗ لَا تَنْفُذُوْنَ اِلَّا بِسُلْطٰنٍۚ ( الرحمن: ٣٣ )
O assembly
يَٰمَعْشَرَ
ऐ गिरोह
(of) the jinn
ٱلْجِنِّ
जिन्नों
and the men!
وَٱلْإِنسِ
और इन्सानों के
If
إِنِ
अगर
you are able
ٱسْتَطَعْتُمْ
तुम इस्तिताअत रखते हो
to
أَن
कि
pass beyond
تَنفُذُوا۟
तुम निकल जाओ
[of]
مِنْ
किनारों से
(the) regions
أَقْطَارِ
किनारों से
(of) the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन के
then pass
فَٱنفُذُوا۟ۚ
तो निकल जाओ
Not
لَا
नहीं तुम निकल सकते
you (can) pass
تَنفُذُونَ
नहीं तुम निकल सकते
except
إِلَّا
मगर
by authority
بِسُلْطَٰنٍ
साथ एक क़ुव्वत के
Ya ma'shara aljinni waalinsi ini istata'tum an tanfuthoo min aqtari alssamawati waalardi faonfuthoo la tanfuthoona illa bisultanin (ar-Raḥmān 55:33)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ जिन्नों और मनुष्यों के गिरोह! यदि तुममें हो सके कि आकाशों और धरती की सीमाओं को पार कर सको, तो पार कर जाओ; तुम कदापि पार नहीं कर सकते बिना अधिकार-शक्ति के
English Sahih:
O company of jinn and mankind, if you are able to pass beyond the regions of the heavens and the earth, then pass. You will not pass except by authority [from Allah]. ([55] Ar-Rahman : 33)