سَابِقُوْٓا اِلٰى مَغْفِرَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا كَعَرْضِ السَّمَاۤءِ وَالْاَرْضِۙ اُعِدَّتْ لِلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَرُسُلِهٖۗ ذٰلِكَ فَضْلُ اللّٰهِ يُؤْتِيْهِ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِيْمِ ( الحديد: ٢١ )
Sabiqoo ila maghfiratin min rabbikum wajannatin 'arduha ka'ardi alssamai waalardi o'iddat lillatheena amanoo biAllahi warusulihi thalika fadlu Allahi yuteehi man yashao waAllahu thoo alfadli al'atheemi (al-Ḥadīd 57:21)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर अग्रसर होने में एक-दूसरे से बाज़ी ले जाओ, जिसका विस्तार आकाश और धरती के विस्तार जैसा है, जो उन लोगों के लिए तैयार की गई है जो अल्लाह और उसके रसूलों पर ईमान लाए हों। यह अल्लाह का उदार अनुग्रह है, जिसे चाहता है प्रदान करता है। अल्लाह बड़े उदार अनुग्रह का मालिक है
English Sahih:
Race [i.e., compete] toward forgiveness from your Lord and a Garden whose width is like the width of the heavens and earth, prepared for those who believed in Allah and His messengers. That is the bounty of Allah which He gives to whom He wills, and Allah is the possessor of great bounty. ([57] Al-Hadid : 21)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तुम अपने परवरदिगार के (सबब) बख़्शिस की और बेहिश्त की तरफ लपक के आगे बढ़ जाओ जिसका अर्ज़ आसमान और ज़मीन के अर्ज़ के बराबर है जो उन लोगों के लिए तैयार की गयी है जो ख़ुदा पर और उसके रसूलों पर ईमान लाए हैं ये ख़ुदा का फज़ल है जिसे चाहे अता करे और ख़ुदा का फज़ल (व क़रम) तो बहुत बड़ा है