وَلَا تَأْكُلُوْا مِمَّا لَمْ يُذْكَرِ اسْمُ اللّٰهِ عَلَيْهِ وَاِنَّهٗ لَفِسْقٌۗ وَاِنَّ الشَّيٰطِيْنَ لَيُوْحُوْنَ اِلٰٓى اَوْلِيَاۤىِٕهِمْ لِيُجَادِلُوْكُمْ ۚوَاِنْ اَطَعْتُمُوْهُمْ اِنَّكُمْ لَمُشْرِكُوْنَ ࣖ ( الأنعام: ١٢١ )
Wala takuloo mimma lam yuthkari ismu Allahi 'alayhi wainnahu lafisqun wainna alshshayateena layoohoona ila awliyaihim liyujadilookum wain ata'tumoohum innakum lamushrikoona (al-ʾAnʿām 6:121)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उसे न खाओं जिसपर अल्लाह का नाम न लिया गया हो। निश्चय ही वह तो आज्ञा का उल्लंघन है। शैतान तो अपने मित्रों के दिलों में डालते है कि वे तुमसे झगड़े। यदि तुमने उनकी बात मान ली तो निश्चय ही तुम बहुदेववादी होगे
English Sahih:
And do not eat of that upon which the name of Allah has not been mentioned, for indeed, it is grave disobedience. And indeed do the devils inspire their allies [among men] to dispute with you. And if you were to obey them, indeed, you would be associators [of others with Him]. ([6] Al-An'am : 121)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जिस (ज़बीहे) पर ख़ुदा का नाम न लिया गया उसमें से मत खाओ (क्योंकि) ये बेशक बदचलनी है और शयातीन तो अपने हवा ख़वाहों के दिल में वसवसा डाला ही करते हैं ताकि वह तुमसे (बेकार) झगड़े किया करें और अगर (कहीं) तुमने उनका कहना मान लिया तो (समझ रखो कि) बेशुबहा तुम भी मुशरिक हो