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وَذَرُوْا ظَاهِرَ الْاِثْمِ وَبَاطِنَهٗ ۗاِنَّ الَّذِيْنَ يَكْسِبُوْنَ الْاِثْمَ سَيُجْزَوْنَ بِمَا كَانُوْا يَقْتَرِفُوْنَ   ( الأنعام: ١٢٠ )

Forsake
وَذَرُوا۟
और छोड़ दो
open
ظَٰهِرَ
ज़ाहिरी
[the] sins
ٱلْإِثْمِ
गुनाह को
and the secret
وَبَاطِنَهُۥٓۚ
और उसके छुपे को
Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
earn
يَكْسِبُونَ
कमाते है
[the] sin
ٱلْإِثْمَ
गुनाह
they will be recompensed
سَيُجْزَوْنَ
अनक़रीब वो बदला दिए जाऐंगे
for what
بِمَا
उसका जो
they used to
كَانُوا۟
थे वो
commit
يَقْتَرِفُونَ
वो कमाई करते

Watharoo thahira alithmi wabatinahu inna allatheena yaksiboona alithma sayujzawna bima kanoo yaqtarifoona (al-ʾAnʿām 6:120)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

छोड़ो खुले गुनाह को भी और छिपे को भी। निश्चय ही गुनाह कमानेवालों को उसका बदला दिया जाएगा, जिस कमाई में वे लगे रहे होंगे

English Sahih:

And leave [i.e., desist from] what is apparent of sin and what is concealed thereof. Indeed, those who earn [blame for] sin will be recompensed for that which they used to commit. ([6] Al-An'am : 120)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ लोगों) ज़ाहिरी और बातिनी गुनाह (दोनों) को (बिल्कुल) छोड़ दो जो लोग गुनाह करते हैं उन्हें अपने आमाल का अनक़रीब ही बदला दिया जाएगा