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۞ يٰبَنِيْٓ اٰدَمَ خُذُوْا زِيْنَتَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَّكُلُوْا وَاشْرَبُوْا وَلَا تُسْرِفُوْاۚ اِنَّهٗ لَا يُحِبُّ الْمُسْرِفِيْنَ ࣖ   ( الأعراف: ٣١ )

O Children
يَٰبَنِىٓ
ऐ बनी आदम
(of) Adam!
ءَادَمَ
ऐ बनी आदम
Take
خُذُوا۟
इख़्तियार करो
your adornment
زِينَتَكُمْ
ज़ीनत अपनी
at
عِندَ
हर नमाज़ के वक़्त
every
كُلِّ
हर नमाज़ के वक़्त
masjid
مَسْجِدٍ
हर नमाज़ के वक़्त
and eat
وَكُلُوا۟
और खाओ
and drink
وَٱشْرَبُوا۟
और पियो
but (do) not
وَلَا
और ना
be extravagant
تُسْرِفُوٓا۟ۚ
तुम इसराफ़ करो
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(does) not
لَا
नहीं वो पसंद करता
love
يُحِبُّ
नहीं वो पसंद करता
the extravagant ones
ٱلْمُسْرِفِينَ
इसराफ़ करने वालों को

Ya banee adama khuthoo zeenatakum 'inda kulli masjidin wakuloo waishraboo wala tusrifoo innahu la yuhibbu almusrifeena (al-ʾAʿrāf 7:31)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ आदम की सन्तान! इबादत के प्रत्येक अवसर पर शोभा धारण करो; खाओ और पियो, परन्तु हद से आगे न बढ़ो। निश्चय ही, वह हद से आगे बदनेवालों को पसन्द नहीं करता

English Sahih:

O children of Adam, take your adornment [i.e., wear your clothing] at every masjid, and eat and drink, but be not excessive. Indeed, He likes not those who commit excess. ([7] Al-A'raf : 31)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ऐ औलाद आदम हर नमाज़ के वक्त बन सवर के निखर जाया करो और खाओ और पियो और फिज़ूल ख़र्ची मत करो (क्योंकि) ख़ुदा फिज़ूल ख़र्च करने वालों को दोस्त नहीं रखता