وَاذْكُرُوْٓا اِذْ اَنْتُمْ قَلِيْلٌ مُّسْتَضْعَفُوْنَ فِى الْاَرْضِ تَخَافُوْنَ اَنْ يَّتَخَطَّفَكُمُ النَّاسُ فَاٰوٰىكُمْ وَاَيَّدَكُمْ بِنَصْرِهٖ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّيِّبٰتِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ( الأنفال: ٢٦ )
Waothkuroo ith antum qaleelun mustad'afoona fee alardi takhafoona an yatakhattafakumu alnnasu faawakum waayyadakum binasrihi warazaqakum mina alttayyibati la'allakum tashkuroona (al-ʾAnfāl 8:26)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जब तुम थोड़े थे, धरती में निर्बल थे, डरे-सहमे रहते कि लोग कहीं तु्म्हें उचक न ले जाएँ, फिर उसने तुम्हें ठिकाना दिया और अपनी सहायता से तुम्हें शक्ति प्रदान की और अच्छी-स्वच्छ चीज़ों की तुम्हें रोजी दी, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ
English Sahih:
And remember when you were few and oppressed in the land, fearing that people might abduct you, but He sheltered you, supported you with His victory, and provided you with good things – that you might be grateful. ([8] Al-Anfal : 26)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(मुसलमानों वह वक्त याद करो) जब तुम सर ज़मीन (मक्के) में बहुत कम और बिल्कुल बेबस थे उससे सहमे जाते थे कि कहीं लोग तुमको उचक न ले जाए तो ख़ुदा ने तुमको (मदीने में) पनाह दी और ख़ास अपनी मदद से तुम्हारी ताईद की और तुम्हे पाक व पाकीज़ा चीज़े खाने को दी ताकि तुम शुक्र गुज़ारी करो