لَقَدْ جَاۤءَكُمْ رَسُوْلٌ مِّنْ اَنْفُسِكُمْ عَزِيْزٌ عَلَيْهِ مَا عَنِتُّمْ حَرِيْصٌ عَلَيْكُمْ بِالْمُؤْمِنِيْنَ رَءُوْفٌ رَّحِيْمٌ ( التوبة: ١٢٨ )
Certainly
لَقَدْ
अलबत्ता तहक़ीक़
(has) come to you
جَآءَكُمْ
आ गया तुम्हारे पास
a Messenger
رَسُولٌ
एक रसूल
from
مِّنْ
तुम्हारे नफ़्सों में से
yourselves
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों में से
Grievous
عَزِيزٌ
गिराँ है
to him
عَلَيْهِ
उस पर
(is) what
مَا
कि मशक़्कत में पड़ो तुम
you suffer
عَنِتُّمْ
कि मशक़्कत में पड़ो तुम
(he is) concerned
حَرِيصٌ
हरीस है
over you
عَلَيْكُم
तुम पर (भलाई का)
to the believers
بِٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर
(he is) kind
رَءُوفٌ
बहुत शफ़क़त करने वाला है
(and) merciful
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है
Laqad jaakum rasoolun min anfusikum 'azeezun 'alayhi ma 'anittum hareesun 'alaykum bialmumineena raoofun raheemun (at-Tawbah 9:128)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक रसूल आ गया है। तुम्हारा मुश्किल में पड़ना उसके लिए असह्य है। वह तुम्हारे लिए लालयित है। वह मोमिनों के प्रति अत्यन्त करुणामय, दयावान है
English Sahih:
There has certainly come to you a Messenger from among yourselves. Grievous to him is what you suffer; [he is] concerned over you [i.e., your guidance] and to the believers is kind and merciful. ([9] At-Tawbah : 128)