هُوَ الَّذِيْ يُسَيِّرُكُمْ فِى الْبَرِّ وَالْبَحْرِۗ حَتّٰٓى اِذَا كُنْتُمْ فِىْ الْفُلْكِۚ وَجَرَيْنَ بِهِمْ بِرِيْحٍ طَيِّبَةٍ وَّفَرِحُوْا بِهَا جَاۤءَتْهَا رِيْحٌ عَاصِفٌ وَّجَاۤءَهُمُ الْمَوْجُ مِنْ كُلِّ مَكَانٍ وَّظَنُّوْٓا اَنَّهُمْ اُحِيْطَ بِهِمْۙ دَعَوُا اللّٰهَ مُخْلِصِيْنَ لَهُ الدِّيْنَ ەۚ لَىِٕنْ اَنْجَيْتَنَا مِنْ هٰذِهٖ لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الشّٰكِرِيْنَ ( يونس: ٢٢ )
Huwa allathee yusayyirukum fee albarri waalbahri hatta itha kuntum fee alfulki wajarayna bihim bireehin tayyibatin wafarihoo biha jaatha reehun 'asifun wajaahumu almawju min kulli makanin wathannoo annahum oheeta bihim da'awoo Allaha mukhliseena lahu alddeena lain anjaytana min hathihi lanakoonanna mina alshshakireena (al-Yūnus 10:22)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वही है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है, यहाँ तक कि जब तुम नौका में होते हो और वह लोगो को लिए हुए अच्छी अनुकूल वायु के सहारे चलती है और वे उससे हर्षित होते है कि अकस्मात उनपर प्रचंड वायु का झोंका आता है, हर ओर से लहरें उनपर चली आती है और वे समझ लेते है कि बस अब वे घिर गए, उस समय वे अल्लाह ही को, निरी उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते है, 'यदि तूने हमें इससे बचा लिया तो हम अवश्य आभारी होंगे।'
English Sahih:
It is He who enables you to travel on land and sea until, when you are in ships and they sail with them by a good wind and they rejoice therein, there comes a storm wind and the waves come upon them from every place and they expect to be engulfed, they supplicate Allah, sincere to Him in religion, "If You should save us from this, we will surely be among the thankful." ([10] Yunus : 22)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
वह वही ख़ुदा है जो तुम्हें ख़ुश्की और दरिया में सैर कराता फिरता है यहाँ तक कि जब (कभी) तुम कश्तियों पर सवार होते हो और वह उन लोगों को बाद मुवाफिक़ (हवा के धारे) की मदद से लेकर चली और लोग उस (की रफ्तार) से ख़ुश हुए (यकायक) कश्ती पर हवा का एक झोंका आ पड़ा और (आना था कि) हर तरफ से उस पर लहरें (बढ़ी चली) आ रही हैं और उन लोगों ने समझ लिया कि अब घिर गए (और जान न बचेगी) तब अपने अक़ीदे को उसके वास्ते निरा खरा करके खुदा से दुआएँ मागँने लगते हैं कि (ख़ुदाया) अगर तूने इस (मुसीबत) से हमें नजात दी तो हम ज़रुर बड़े शुक्र गुज़ार होंगे