Skip to main content

وَيَصْنَعُ الْفُلْكَۗ وَكُلَّمَا مَرَّ عَلَيْهِ مَلَاٌ مِّنْ قَوْمِهٖ سَخِرُوْا مِنْهُ ۗقَالَ اِنْ تَسْخَرُوْا مِنَّا فَاِنَّا نَسْخَرُ مِنْكُمْ كَمَا تَسْخَرُوْنَۗ   ( هود: ٣٨ )

And he was constructing
وَيَصْنَعُ
और वो बना रहा था
the ship
ٱلْفُلْكَ
कश्ती
and every time
وَكُلَّمَا
और जब कभी
passed
مَرَّ
गुज़रते
by him
عَلَيْهِ
उस पर
(the) chiefs
مَلَأٌ
सरदार
of
مِّن
उसकी क़ौम में से
his people
قَوْمِهِۦ
उसकी क़ौम में से
they ridiculed
سَخِرُوا۟
वो मज़ाक़ करते
[of] him
مِنْهُۚ
उससे
He said
قَالَ
वो कहता
"If
إِن
अगर
you ridicule
تَسْخَرُوا۟
तुम मज़ाक़ करते हो
us
مِنَّا
हम से
then we
فَإِنَّا
तो बेशक हम भी
can ridicule
نَسْخَرُ
हम मज़ाक़ करेंगे
you
مِنكُمْ
तुमसे
as
كَمَا
जैसा कि
you ridicule
تَسْخَرُونَ
तुम मज़ाक़ करते हो

Wayasna'u alfulka wakullama marra 'alayhi malaon min qawmihi sakhiroo minhu qala in taskharoo minna fainna naskharu minkum kama taskharoona (Hūd 11:38)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब नाव बनाने लगता है। उसकी क़ौम के सरदार जब भी उसके पास से गुज़रते तो उसका उपहास करते। उसने कहा, 'यदि तुम हमारा उपहास करते हो तो हम भी तुम्हारा उपहास करेंगे, जैसे तुम हमारा उपहास करते हो

English Sahih:

And he constructed the ship, and whenever an assembly of the eminent of his people passed by him, they ridiculed him. He said, "If you ridicule us, then we will ridicule you just as you ridicule. ([11] Hud : 38)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और नूह कश्ती बनाने लगे और जब कभी उनकी क़ौम के सरबर आवुरदा लोग उनके पास से गुज़रते थे तो उनसे मसख़रापन करते नूह (जवाब में) कहते कि अगर इस वक्त तुम हमसे मसखरापन करते हो तो जिस तरह तुम हम पर हँसते हो हम तुम पर एक वक्त हँसेगें